THE FACT ABOUT BAGLAMUKHI SHABHAR MANTRA THAT NO ONE IS SUGGESTING

The Fact About baglamukhi shabhar mantra That No One Is Suggesting

The Fact About baglamukhi shabhar mantra That No One Is Suggesting

Blog Article



Goddess Baglamukhi carries a cudgel in her fingers to smash the troubles confronted by her devotees. Here are a few mantras of Baglamukhi with their meanings and the main advantages of chanting them.

यहाँ पर उल्लिखित शाबर मन्त्र के सम्बन्ध में अनुभवी साधकों का यह निष्कर्ष है कि यह परमशक्तिशाली मन्त्र है और इसका प्रयोग कभी निष्फल नहीं होता है। यह प्रबल बगलामुखी शत्रु विनाशक मंत्र है। इसका सिद्धि-विधान भी अत्यन्त ही सरल है। इसके लिए साधक को यह निर्देश है कि भगवती बगला की सम्यक् उपासना एवं उपचार के उपरान्त प्रतिदिन दो माला जप एक महीने तक करें। इतने अल्प समय और अल्प परिश्रम से ही यह मन्त्र अपना प्रभाव प्रकट करने लगता है।

The shabar mantra can be a form of mantra chanting in Indian mystical tradition. It truly is derived from the Hindi language and is also known for its simplicity and performance. Shabar mantras are considered to possess huge power and can be employed in therapeutic and fulfilling wants.

We use cookies to make sure you get the ideal encounter on our Web page.Learn more I agree I disagree

पीत – वर्णां मदाघूर्णां, सम – पीन – पयोधराम‌् ।

रिपोर्जिह्वां त्रि-शूलं च, पीत-गन्धानुलेपनाम् । पीताम्बर-धरां सान्द्र-दृढ-पीन-पयोधराम् ॥

Which means: The bija mantra for divine Strength and concentration. Additionally, it refers to Saraswati, the goddess of information and arts.

As opposed to Sanskrit mantras, which are generally Employed in Vedic rituals and ceremonies, Shabar Mantras are in day to day usage and can be recognized and sung by Anyone.

श्री-नित्ये बगला-मुखि! प्रति-दिनं कल्याणि! तुभ्यं नमः ।।

वास्तव में शाबर-मंत्र अंचलीय-भाषाओं से सम्बद्ध होते हैं, जिनका उद्गम सिद्ध उपासकों से होता है। इन सिद्धों की साधना का प्रभाव ही उनके द्वारा कहे गए शब्दों में शक्ति जाग्रत कर देता है। इन मन्त्रों में न भाषा की शुद्धता होती है और न ही संस्कृत जैसी क्लिष्टता। बल्कि ये तो एक साधक के हृदय की भावना होती है जो उसकी अपनी अंचलीय ग्रामीण भाषा में सहज ही प्रस्फुटित होती है। इसलिए इन मन्त्रों की भाषा-शैली पर विचार करने की more info आवश्यकता नहीं है। यदि आवश्यकता है तो वह है इनका प्रभाव महसूस करने की।

इस परिशिष्ट में जिन मन्त्रों का उल्लेख किया जा रहा है, वे लोक- परम्परा से सम्बद्ध भगवती-उपासकों द्वारा पुनः-पुनः सराहे गए हैं। इन मन्त्रों का प्रभाव असंदिग्ध है, जबकि इनके साधन में औपचारिकताएं नाम मात्र की हैं। यदि भगवती बगलाम्बा के प्रति पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा-भाव रखते हुए इन मन्त्रों की साधना की जाए, तो कोई कारण नहीं है कि साधक को उसके अभीष्ट की प्राप्ति न हो।

ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवान्छितं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।

वन्दे स्वर्णाभ-वर्णां मणि-गण-विलसद्धेम- सिंहासनस्थाम् ।

Report this page